उसने मेरी बोरियत को रिबन की तरह लपेटा
और पर्स में रख लिया
वह मेरे साथ बोगलबेलिया सी बैठी है
हम कुछ देर चुप रहे फिर उसने पूछा
शहर को देख कर तुम बोर नहीं होते
मैंने भी पूछा - बताओ हमें बोर कब होना चाहिए
उसने कहा - कभी नहीं और पेड़ की छाँव बन गई
वह ठंडी हवा में हिली और कहा -
तुम अच्छा सा रास्ता बन जाओ
मैं शहर में एक अच्छा रास्ता बन गया
और वह घने पेड़ों की छाँव
उसने बोर होने वाला सवाल फिर कभी नहीं पूछा